Examine This Report on hanuman chalisa

व्याख्या – देवता, दानव और मनुष्य तीनों ही आपके तेज को सहन करने में असमर्थ हैं। आपकी भयंकर गर्जना से तीनों लोक काँपने लगते हैं।

भावार्थ – हे पवनकुमार! मैं अपने को शरीर और बुद्धि से हीन जानकर आपका स्मरण (ध्यान) कर रहा हूँ। आप मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करके मेरे समस्त कष्टों और दोषों को दूर करने की कृपा कीजिये।

व्याख्या – जो मन से सोचते हैं वही वाणी से बोलते हैं तथा वही कर्म करते हैं ऐसे महात्मागण को हनुमान जी संकट से छुड़ाते हैं। जो मन में कुछ सोचते हैं, वाणी से कुछ दूसरी बात बोलते हैं तथा कर्म कुछ और करते हैं, वे दुरात्मा हैं। वे संकट से नहीं छूटते।

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“You flew in direction of the Sunlight that is thousands of yrs of Yojanas absent, thinking of him like a sweet fruit.”

गोस्वामी तुलसीदास की श्री हनुमान जी से भेंट: सत्य कथा

Numerous court docket officers, perplexed, have been angered by this act. Hanuman replied that as an alternative to needing a gift to remember Rama, he would constantly be in his coronary heart. Some court docket officials, even now upset, requested him for evidence, and Hanuman tore open up his chest, which had a picture of Rama and Sita on his coronary heart.

You flew to the Sunlight that's 1000s of years of Yojanas absent, thinking of him for a read more sweet fruit

क्या सच में हनुमान चालीसा नहीं पढ़नी चाहिए?

Why the band employed the identify Hanuman is unclear, even so the artists have stated that Santana "was a job model for musicians again in Mexico that it was doable to complete good tunes and be a global musician."[155]

श्रुति रामकथा, मुख रामको नामु, हिएँ पुनि रामहिको थलु है ॥

सत्संग के द्वारा ही ज्ञान, विवेक एवं शान्ति की प्राप्ति होती है। यहाँ श्री हनुमान जी सत्संग के प्रतीक हैं। अतः श्री हनुमान जी की आराधना से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।

Owning polished the mirror of my heart Using the dust of my Guru’s lotus ft, I recite the divine fame of the greatest king of your Raghukul dynasty, which bestows us Together with the fruit of all 4 initiatives.

भावार्थ – आप अपने स्वामी श्री रामचन्द्र जी की मुद्रिका [अँगूठी] को मुख में रखकर [सौ योजन विस्तृत] महासमुद्र को लाँघ गये थे। [आपकी अपार महिमा को देखते हुए] इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।

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